Books written by aryabhatta in hindi

          Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat.

        1. Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat.
        2. ​Aryabhatiyam was written by Aryabhata.
        3. यह पुस्तक आर्यभट के जीवन और कृतित्व को प्रस्तुत करती है, जो गणित और ज्योतिष में उनकी अद्भुत योगदान को उजागर करता है। · 'आर्यभटीय' भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ होने के कारण, यह पुस्तक महत्वपूर्ण.
        4. Aryabhatiya With Tika Of Paramesvara And Hindi Translation Uday Narayan Singh aryabhata, parameswara, uday narayan singh: Free Download.
        5. Item Code: UBD Publisher: D. K. Printworld Pvt. Ltd. Author: Kedarnath Shukl.
        6. यह पुस्तक आर्यभट के जीवन और कृतित्व को प्रस्तुत करती है, जो गणित और ज्योतिष में उनकी अद्भुत योगदान को उजागर करता है। · 'आर्यभटीय' भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ होने के कारण, यह पुस्तक महत्वपूर्ण..

          आर्यभट्ट

          जन्म: 476 कुसुमपुर अथवा अस्मक

          मृत्यु: 550

          कार्य: गणितग्य, खगोलशाष्त्री

          आर्यभट्‍ट प्राचीन समय के सबसे महान खगोलशास्त्रीयों और गणितज्ञों में से एक थे। विज्ञान और गणित के क्षेत्र में उनके कार्य आज भी वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते हैं। आर्यभट्‍ट उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित (एलजेबरा) का प्रयोग किया। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘आर्यभटिया’ (गणित की पुस्तक) को कविता के रूप में लिखा। यह प्राचीन भारत की बहुचर्चित पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में दी गयी ज्यादातर जानकारी खगोलशास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति से संबंध रखती है। ‘आर्यभटिया’ में अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति के 33 नियम भी दिए गए हैं।

          आज हम सभी इस बात को जानते हैं कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण रात और दिन होते हैं। मध्यकाल में ‘निकोलस कॉपरनिकस’ ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था पर इस वास्तविकता से बहुत कम लोग ही परिचित होगें कि ‘कॉपरनिकस’ से लगभग 1 हज़ार साल पहले ही आर्यभट्ट ने यह खोज कर ली थी कि पृथ